Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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१०६ ][ श्री जिनेन्द्र
जग के दुःख की तो परवा नहीं है,
स्वर्ग-सुख की भी चाह नहीं है,
छूटे जामन मरण, ऐसा होवे यतन, तारणहारा. मेटो..३
लाखों बार तुम्हें शीश नमावूं, जग के नाथ तुम्हें कैसे पाऊं,
‘पंकज’ ( हम सब) व्याकुल भया, दर्शन बिन ये जिया;
लागे खारा. मेटो मेटोजी..४
श्री महावीर जिनस्तवन
महावीरा तेरी धुनमें आनंद आ रहा है,
आनंद आ रहा है, आनंद आ रहा हैमहावीरा.
तेरी तो धुन हम सुनकर, आये हैं तेरे दर पर,
आये हैं तेरे दर पर;
अरदास कर रहा है, महावीरा के चरणों मेंमहावीरा.
लाखोंकी बिगडी बनाई, मेरी भी बना देना (२)
पुकार कर रहा है, महावीरा के मंदिरमेंमहावीरा.
प्रभु पार करदे हमको, तूफान ये कर्मोंका (२)
मस्तक झुक रहा है, महावीराके चरणोंमेंमहावीरा.
हम सबकी अरजी पूरी, हे नाथ तुम्हीं करना (२)
पुकार कर रहा हूं, महावीराके मंदिरमेंमहावीरा.
श्री जिनस्तवन
नचा मन मोर (२) ठौर न पाई और,
तोरे भुवन आयाआयातोरे
एक गांवका जो है स्वामी वह दुःखिया दुःख खोवे,