Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्तवनमाळा ][ ११३
आज दरश कर तन-मन फूला,
निजानंद पथ पाया भूला,
आत्मबोधका झूला झूला,
बना ‘सौभाग्य’ धर्म अनुकूला,
पाई निधि कल्याण की.....५
श्री जिनस्तवन
तेरे चरणोंपे बली बली जाउं,
परम पद पाउं, पाउं, यही भा रहा है.
मेरे नयनों में तेरी छबी छाई रे,
माया दुनियाकी सारी भुलाई है;
तुझे मनकी (२) कुटरीयामें लावुं
लावुं, गुण गावुं, गावुं, यही भा रहा है.
आज जीवनमें खुशियां अपार है;
पाया जीवनमें जीवनआधार है;
तेरे चरणोंमें मैं चित्त लावुं, लावुं,
सुरस चाहुं, चाहुं, यही भा रहा है.
मेरे कर्मोंकी टूटेंगी लडीयां,
आई ‘सौभाग्य’ से आज ये घडीया;
भावभक्तिसे मैं शिर नाउं, नाउं,
गुण गाउं, गाउं, यही भा रहा है.