११४ ][ श्री जिनेन्द्र
श्री जिन – स्तवन
जय जय जय श्री वीर प्रभु प्यारे,
जय जय जय जगजीवन को तारनहारे; श्री वीर प्रभु प्यारे.
धन्य जनक सिद्धारथ राजा, धन्य सुत्रिशला माता,
धन्य धन्य कुल विश्वविभूति, जगनायक जगत्राता;
रिपु करमन को जीतनहारे, श्री वीर प्रभु प्यारे. १.
तामस तिमिर तोम हिंसा ने जब तत्त्वों पर छाया,
पावन परम प्रभाकर प्रकटित होकर पाप पलाया;
जय जय जय श्री ज्ञान किरणवारे. श्री वीर प्रभु प्यारे. २.
विषय विलास वासना वैभव विष सम अनुभव करके,
मन – मतंग माया ममता का मान मदन मद हर के;
जय दुर्द्धर तप तपनेवारे. श्री वीर प्रभु प्यारे. ३.
अजर अमर अविचल अविनाशी आतम ज्योति जगाकर;
सिद्ध सिंहासन शोभित सनमति हों ‘सौभाग्य’ दयाकर;
जय जय जय श्री मोक्ष रमावारे. श्री वीर प्रभु प्यारे. ४.
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श्री जिन – स्तवन
(दुनियां में कौन हमारा)
अजब छटा है आज, श्री जिनराज, सवारी आती,
उपमा कछु कही न जाती. टेक.