स्तवनमाळा ][ ११५
क्या प्यारे प्यारे बाजे हैं, जय जन से नभ थल गाजे हैं,
है धन्य धन्य आरूढ प्रभुजी हाथी. उपमा कछु. १.
नर नारी मंगल गाते हैं, हर्षित हो पुण्य कमाते हैं,
कर इच्छा पा ‘सौभाग्य’ बनें शिव साथी. उपमा कछु. २.
श्री जिन – स्तवन
(भरतरी – चंदा देश पियाके जा)
दिलमें तुम्ही बसे हो आय, दिलमें तुम्ही बसे हो आय.
नैना सब कुछ भूले जगको, लगे हैं तुमसे आय. टेक.
अघहर सुखकर छवि है प्यारी, पतितोद्धारक जगहितकारी,
महिमा कही न जाय. १.
सुर नर मुनिगण तुम को ध्याते, उमंग र गुण गा हर्षाते,
बाजे विविध बजाय. २.
नर तन शुभ ‘सौभाग्य’ मिला है,
भक्तिभाव कर हृदय खिला है.
निज सा लेहु बनाय. ३.
श्री जिन – स्तवन
सीमंधर स्वामी, ॐ सीमंधर स्वामी
बार बार सिर नावें पावें तुम पद शिवगामी ॐ
धन्य धन्य प्रभु विदहक्षेत्र में धर्मवृष्टि करके,
ज्ञानांकुर उत्पन्न किये हैं मिथ्या जड हर के. ॐ