स्तवनमाळा ][ ११९
श्री जिन – स्तवन
(लारे लप्पा, लारे लप्पा)
पार लगा पार लगा पार लगाना,
नाथ मेरी नाव फंसी पार लगाना,
ओ....तुम सम और न मांझी स्वामीजी पार लगाना. टेक.
चार गतिका गहन सरोवर, चौरासी लख लहर लहर पर.
डग मग डोले नैया, ओ स्वामीजी!
डगमग डोले नैया. पार लगा. १.
विषय कषाय मगर मुंह फारे, घूम रहे चहुं विषधर काले,
पाप भंवर है भारी, ओ स्वामीजी पाप भंवर है भारी.
पार लगा. २.
तेरा नाम सहारा पाकर लाखों छोर लगे हैं जाकर,
बांह पकड लो तार, ओ स्वामीजी, बांह पकड लो तार,
पार लगा. ३.
कर्म काट तुम सम पद पाऊं, जीवन का ‘‘सौभाग्य’’ दिपाऊं,
लहूं मोक्ष सुखकार, ओ स्वामीजी, लहूं मोक्ष सुखकार,
पार लगा. ४.
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