Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 3 of 253
PDF/HTML Page 15 of 265

 

background image
स्तवनमाळा ][ ३
जे तुम यश निज मुख उच्चारै,
ते तिहुं लोक सुजश विस्तारै;
तुम गुण गान मात्र कर प्रानी,
पावै सुगुण महासुख दानी.
जो चित ध्यान सलिल तुम धारा,
ते मुनि तीरथ है निरधारा;
तुम गुण हंस तुम्हीं सर वासी,
वचन जालमें ले तन फांसी.
जगतबंधु गुणसिंधु दयानिधि,
बीजभूत कल्याण सर्व सिद्धि;
अक्षय शिवस्वरूप श्रिय स्वामी,
पूर्ण निजानंदी विश्रामी.
शरणागत सर्वस्व सुहितकर,
जन्म मरण दुख आधि व्याधि हर;
संतभक्ति तुम हो अनुरागी,
निश्चे अजर अमर पद भागी.
श्री जिनस्तवन
(त्रोटक छंद)
दुखकारन द्वेष विडारन हो,
वश डारन राग निवारन हो;