Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्तवनमाळा ][ १७
श्री जिनस्तवन
(तर्ज पुजारी मेरे मन मंदिर में आओ)
प्रभुजी मनमंदिर में आओ प्रभुजी,
नाथ पुजारी हूं मैं तेरा; सेवक को अपनाओ. प्रभुजी १
शुद्ध हृदय से करूं विनती, आतमज्ञान सिखाओ,
परपरणति तज निज परणतिका सच्चा भान कराओ.
प्रभुजी २
मैं तो भूल गया था तुमको, तुम ना मुझे भुलावो,
जीवन धन्य बनाऊं अपना, एसी राह सुझाओ.
प्रभुजी ३
श्री वीतराग तोरे चरणनमें, निशदिन मुझे बसाओ,
करके दया
‘‘वृद्धि’’ सेवक पर, आवागमन मिटाओ.
प्रभुजी ४
श्री जिनस्तवन
(तर्जदुनिया रंगरंगीली बाबा)
नैया तुमरी निराली प्रभुजी नैया तुमरी निराली.
इस नैया में धर्मकी कुटिया शोभा जिसकी न्यारी है,
हर कोने में ज्ञाननिधि है, हर छत सम्यक्वाली है,
अद्भुत खिडकी दशों दिशामें, है दश दश लक्षणवाली.
प्रभुजी १