स्तवनमाळा ][ १९
श्री जिन – स्तवन
(तर्ज – चलो पनिया भरन को)
कैसी सोहे सवारी आज श्री जिनवर की. कैसी सोहे.
है शोभा रथ की छाजे, त्रिभुवनपति है जो बिराजे,
महिमा का पाया न पार, श्री जिनवर की. कैसी० १
आगे आगे चलें हर्षाते, भवि जन चित से गुण गाते,
सब बोलें जय जयकार, श्री जिनवर की. कैसी० २
बज रहे मजीरा टननन, करताल कर रही झन झन,
धुन से हो रही झनकार, श्री जिनवर की. कैसी० ३
कहीं तबला बाजा बजता, कोई नृत्य भाव से करता,
छिन छिन में छवी निहार, श्री जिनवर की. कैसी० ४
चहुं ओर खडे दर्शकगण, शोभा उत्सव की निरखन,
करें कीरत बारम्बार, श्री जिनवर की कैसी० ५
करें क्या क्या हम यहां वर्णन, उत्साह – ‘वृद्धि’ हुआ हर मन,
जय जय ही रहे पुकार, श्री जिनवर की. केसी० ६
श्री जिन – स्तवन
(तर्ज – पंछी बावरा चांदसे प्रीत लगाये, पंछी बावरा)
आज सुअवसर आया, पूजूं वीर को, वीर को २
मूरति देख हृदय में मेरे, आनन्द अतुल समाया,
है सुखदाई यह मन भावन, पूजा भाव जगाया. १ आज०