Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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२० ][ श्री जिनेन्द्र
कौन सिखाये मुझे तुम्हारी, सेवा कर फल पाऊं,
ज्यों ज्यों देखूं छवि तुम्हारी त्यों त्यों मन उमगाया. आज०
अष्ट द्रव्य ले थाल सजा के, पूजा करुं तुम्हारी,
अष्ट कर्मका नाश करूं मैं जिनने जाल फैलाया. आज०
नाथ समय नित एसा आये, भक्ति करूं तुम्हारी,
‘वृद्धि’ पुण्य करूं मैं संचय, शरणा तेरा पाया. आज०
श्री जिनस्तवन
(तर्ज चलो पनियां भरन को, चलें सभी हिलमिल के)
चलो दरशन करन को चलें सभी हिलमिल के,
मेरे मनमें तो एसी आवे, प्रभुजीसे लगन लग जावे,
बिछुडे ना कभी भी साथ मेरा भव भव में. चलो०
छबि लागे प्रभुजीकी प्यारी, यही चर्चा है घरघर में जारी,
त्रिशला मां हुई है निहाल, प्रभू जब जनमे. चलो०
दुनियां को सुपथ दिखलाने, रिपु कर्मो को मार गिराने,
तजा छिन में सब घर बार, गये जंगल में. चलो०
नर नारी सभी मिल आये, वहां ‘‘पंकज’’ प्रभु गान गाये,
कहे लीजो नाथ उबार, फंसा दलदल में. चलो०
श्री जिनस्तवन
(तर्ज तेरे पूजनको भगवान बना मन मंदिर आलीशान)
तेरे दर्शन से जिनराज अशुभ परिणाम गये सब भाजतेरे