Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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३० ][ श्री जिनेन्द्र
श्री जिनस्तवन
(तर्जबाबू दरोगाजी)
हे नेमी जिनेश्वरजी, काहे कसूर पै चल दिये रथ को मोर,
काहे को दुलहा का रूप बनाया; काहे बरातिन को जोर,
काहे को तोरण पै लै संग आये, खेंची क्यों रथकी डोर.
क्या है किसीने बडा बोल बोला, क्या गूढ बातें हैं और,
पशुओं ने ऐसा किया कौन जादू, रूठे जो सुन कर शोर.
नव भवकी साथिन हूं प्यारे सांवरिया, फिर क्यों हो ऐसे कठोर,
काहे को मुनि पद धारा दिगंबर, डारे क्यों भूषण तोर.
भव भव यही एक ‘सौभाग्य’ चाहूं, दीजे चरण में सुठोर,
आवागमन से मिले शीघ्र मुक्ति, ये ही अरज कर जोर.
श्री जिनस्तवन
(तर्जओ जाने वाले बलमवा)
हो जिनवर झूले झूलना देखलो आ, देखलो आ,
हो कैसा सोहे पालना, देखलो आ, देखलो आ. टेक०
इन्द्र और इन्द्राणी आये, देखो ना सभी को भाये,
अजी देखो ना, हो बारी बारी सोहे चवरों का ढोरना.
देखलो आ, देखलो आ. हो०
घडी घडी जयकार लगाना, फिर फिर पुष्पों का बरसाना,
कैसा सोहेजी, हो निरख हृदयों का खुशीसे फूलना,
देखलो आ, देखलो आ. हो०