स्तवनमाळा ][ ४३
धरे तप पाय सुकेवल बोध,
दियौ उपदेश सुभव्य संबोध;
लियौ फिर मोच्छ महासुखराश,
नमों नित भक्त सोई सुखआश. १२
श्री सीमंधार स्वामी स्तवन
(छोटी बडी गौंआरे – ए राग)
सत्यदेवी नंदा रे, दुःख अमारा कापना
दुःख अमारा कापना सत्य.
भव भय भंजन, मुनि मन रंजन, (२)
स्वामी अंतर्यामी; दुःख.....
दुरित अपाशक, तत्त्व प्रकाशक (२)
शासक भव्य जीवोना; दुःख.....
भवजलतारक, पतित उद्धारक (२)
वारक नीच गतिना; दुःख.....
कर्म सुभट वीर, मेरुसमान धीर, (२)
सागर सम गंभीर; दुःख.....
सुवर्ण तीर्थे, नाथ बिराजो, (२)
विदेहवासी जिन चंदा; दुःख.....
श्री सद्गुरुजी, महान प्रभावे, (२)
भेट्या सीमंधर जिनंदा; दुःख.....
रत्नत्रय धरनार, धर्म धुरन्धर, (२)
आपो अनंत आनंदा; दुःख.....