Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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४४ ][ श्री जिनेन्द्र
श्री जिनस्तवन
(सर फीरोशीकी तमन्नाए राग हरिगीत)
आज मारा हृदयमां, आनंद सागर ऊछळे,
जिनचन्द्रना दर्शन वडे, संताप सवि स्हेजे टळे.
कळिकाळमां जिनदेवनुं, दर्शन जीवन आधार छे,
पामशे जे शुद्ध भावे, तरी जशे संसार ते.
भववने भमतां थकां, भूला पडेला मार्गमां,
दर्शनरूपी दीपक लई, जाशुं अमे अपवर्गमां.
रामनो संगम थये, जे हर्ष पामे जानकी,
तेवी ज रीते भविकने, जिनदेवना दर्शन थकी.
श्रीगुरु वचनामृत सुणी, जाण्युं अमे जिनदर्शने,
आत्म जागे, पाप भागे, सिद्धनी पदवी मळे.
श्री सीमंधार स्वामीनुं स्तवन
(जाओ जाओ अय मेरे साधुए राह)
ध्यावो ध्यावो हे भविजन भावे, सीमंधर भगवान
ए टेक०
मंगलकारी नाम प्रभुनुं, ध्यावो थई एक तान,
सर्व संपदा स्हेजे पामो, करो क्रोड कल्याण.
ध्यावो०
विचरे स्वामी महाविदेहे करता भवि उपकार,
भरतक्षेत्रना भक्तो भावे, स्मरी तरे संसार.
ध्यावो०