Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्तवनमाळा ][ ४५
वृषलच्छनधर सत्यकी नंदन, वंदन वारंवार,
मनवांच्छितपद तरवा काजे, करीए भविजन सार.
ध्यावो० ३
कनककान्ति छे कमल नयननी, वदन छे पूनमचंद,
शीतलता चन्दन सम शोभे, प्रताप पूर्ण दिणंद.
ध्यावो० ४
घडी वसे जो अन्तर मांही, प्रभुजी वस्या जो दूर,
तोपण तारो सेवक पामे, आतम अविचल नूर.
ध्यावो० ५
श्री सीमंधार जिनस्तवन
(प्रीतलडी बंधाणी रे)
विदेहवासी श्री सीमंधर नाथजी,
विनती अमारी स्नेह धरी अवधार जो;
संसारे भमतां हुं आव्यो आपने,
शरणे साहिब जाणी जगदाधार जो...विदेहवासी.
सहवासी छो चिरसमयना नाथजी,
साथे रहीने करता कार्य अपूर्व जो;
अल्प समयना विरहे शुं विसरी गया,
सेवकने संकटमां मूकीने नाथ जो....विदेहवासी.
दूरे मूकी विसरवुं छाजे नहीं,
उत्तम ते छंडे नहीं उत्तम रीत जो;
सुखमां सर्वे सज्जनताने दाखवे,
दुःखमां त्यागे नहि जो साची प्रीत जो....विदेहवासी.