स्तवनमाळा ][ ४७
आत्मतत्त्व श्रद्धारूप मूल, दर्शनमोह विनाशनशूल,
दर्शनपद मनोहार. भविया.....
ज्ञान सम्यक् छे भवजल तरवा, मोहतिमिरनो विनाश करवा,
जास प्रभा सुखदाय. भविया....
संयमपद संयमता आपे, दुःख दारिद्रयना कारण कापे,
वंदे सुर नर राय. भविया......
नमी श्री जिनवर पुण्य प्रभावे, पंचपद महिमा दिलमां ध्यावे,
आतमने हितकार. भविया......
श्री जिन – स्तवन
(राग – जब तुम्हीं चले परदेश)
अब सुणो सहु संदेश प्रभु आदेश,
सदा सुखकारा, जीवनमें वोई सहारा.
जब जगमें सुखदुःख आयेंगे,
आतमदेव शांति जगायेंगे;
अब तुम्ही कहे इस जगमें कौन तुम्हारा,
जीवनमें वोई सहारा. १
उपकारी प्रभुका पूजन करो,
महावीर प्रभुका ध्यान धरो;
प्रभु नाम सदा सुखधाम, जगत में प्यारा,
जीवन में वोई सहारा. २
शासनस्वामी शिवधामी ये,
अविनाशी अंतरजामी ये;
प्रभु चरणकमलमें शरणा ग्रहो तुम्हारा,
जीवन में वोई सहारा.