४८ ][ श्री जिनेन्द्र
अब सुणो सहु संदेश, प्रभु आदेश,
सदा सुखकारी; जीवन में वोई सहारा. ३
श्री जिन – स्तवन
(लाख लाख दीवडानी आरती उतारजो)
क्रोड क्रोड वंदन अमारा स्वीकारजो,
अंतरमां भावनाए थाय;
वारी जाउं प्रभुने ओवारणां,
सेवकनी अरजी आ दिलमांही धारजो,
केम करी दर्शन पमाय,
वारी जाउं प्रभुने ओवारणां. १
अंगे अंगे ए ज उठे विचारणा,
डगले पगले एना आवे संभारणा;
पामुं प्रभु चरण पाय,
वारी जाउं प्रभुने ओवारणां. २
आवो आवो नाथ दर्शन देखाडजो,
सेवक सदा दिल रहाय,
वारी जाउं प्रभुने ओवारणां. ३
श्री जिन – स्तवन
तेरी राह धरके, भव पार करके,
मुझे आना तुमारे आंगना,
मुझे आना तुमारे० १
मन स्थिर करके, तेरा ध्यान धरके,