स्तवनमाळा ][ ६३
श्री स्तवन
(आंबलियो रे सखी – ए राग)
समकित सूरज सखी ऊगीयो समता रसथी निरमळो,
आत्म रसमां झूले सद्गुरुदेव सीमंधर प्रभु एम भणे;
महाविदेह सीमंधर प्रभुनो वास निरखशुं क्यारे नाथने,
कोण गुरुजी सगुं ने सारथी; शी रीते प्रभुने नयने नीरखाय
किण विध जिनजीने भेटशुं.
कुंदकुंद प्रभु अम सगा ने सारथी,
निजघर रमता नयने नीरखाय नाथ भेटाय भक्तिभावथी,
मळशे मळशे सीमंधर भगवान, साक्षात् भेटशुं जिनजीने,
धन्य धन्य आवे ए दिन मनोवांछित सिद्धशे.
श्री स्तवन
( जिनवर दर्शनना जाग्या छे कोड – ए राग)
वीर तारुं शासन आ भरते अजोड,
जिणंदानी शीतळ ए छांयडी;
जाग्या तुज शासनमां कुंद मुनि संत,
आचार्य पद सोहे सोहामणां.
सीमंधर देवना साक्षात् दर्शनना;
ऊछळ्या अंतर मुनि कुंदकुंददेवना;
विदेही जिन भेटता पूराय कोड...आचार्य.
ज्ञान सागर भरी भरते पधारीया,
दिव्यध्वनिना धोध वरसावीआ;
दीधा ज्ञान दर्शननां अणमूलां दान....आचार्य.