Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्तवनमाळा ][ ७१
ते लघुधी असमान गुननकौं नाहिं भजै हैं,
सुवरन आयो हाथ जानि पाषान तजै हैं. २३
सुरासुरनको जीति मोहने ढोल बजाया,
तीनलोकमें किये सकल वशि यों गरभाया;
तुम अनंत बलवंत नाहिं ढिग आवन पाया,
करि विरोध तुम थकी मूलतैं नाश कराया. २४
एक मुक्तिका मार्ग देव तुमने परकास्या,
गहन चतुरगतिमार्ग अन्य देवनकूं भास्या;
‘हम सब देखनहार’ इसीविधि भाव सुमिरिकैं,
भुज न विलोको नाथ कदाचित गर्भ जु धरिकैं. २५
केतु विपक्षी अर्कतनो पुनि अग्नितनो जल,
अंबुनिधी अरि प्रलयकालको पवन महाबल;
जगतमाहिं जे भोग वियोग विपक्षी हैं निति,
तेरो उदयो है विपक्षतैं रहित जगतपति. २६
जाने बिन हू नवत आपकों जो फल पावै,
नमत अन्य को देव जानि सो हाथ न आवै;
हरी मणीकूं काच, काचकूं मणी रटत है,
ताकी बुधिमें भूल, मूल्य मणिको न घटत है. २७
जे विवहारी जीव वचनमें कुशल सयाने,
ते कषायकरि दग्ध नरनकों देव वखाने;
ज्यों दीपक बुझि जाय ताहि कहैं ‘नंदि’ भयो है,
भग्न घडेको कलश कहैं ये मंगलि गयो है. २८