Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्तवनमाळा ][ ७३
सब जीवनप्रतिपाल अन्यकरि हैं अगम्य गन,
सुमरन गोचर नाहिं करौं जिन तेरो सुमिरन. ३४
तुम अगाध जिनदेव चित्तके गोचर नाहीं,
निःकिंचन भी प्रभू धनेश्वर जाचत सांई;
भये विश्वके पार द्रष्टिसों पार न पावै,
जिनपति एम निहारि संतजन सरनै आवै. ३५
नमों नमों जिनदेव जगतगुरु शिक्षादायक,
निज गुणसेती भई उन्नती महिमा लायक;
पाहनखंड पहार पछैं ज्यों होत और गिर,
त्यों कुलपर्वत नाहिं सनातन दीर्घ भूमिधर. ३६
स्वयं प्रकाशी देव रैनदिनकूं नहिं बाधित,
दिवसरात्रि भी छतैं आपकी प्रभा प्रकाशित;
लाधव गारव नाहिं एकसो रूप तिहारो,
कालकलातैं रहित प्रभूसूं नमन हमारो. ३७
इहविधि बहु परकावर देव तव भक्ति करी हम,
जाचूं वर न कदापि दीन ह्वै रागरहित तुव;
छाया बैठत सहज वृक्षके नीचे ह्वै है,
फिर छायाकों जाचत यामैं प्रापति क्वै है. ३८
जो कुछ इच्छा होय देनकी तौ उपगारी,
द्यो बुधि एसी करूं प्रीतिसौं भक्ति तिहारी;
करो कृपा जिनदेव हमारे परि ह्वै तोषित,
सन्मुख अपनो जानि कौन पंडित नहि पोषित. ३९