Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्तवनमाळा ][ ७५
जगजन नैनकमल बनखंड, विकसावन शशि शोकविहंड;
आनंदकरन प्रभा तुम तणी, सोई अमी झरन चांदणी.
सब सुरेन्द्र शेखर शुभ रैन, तुम आसन तट माणक ऐन,
दोऊ दुति मिल झलकैं जोर, मानो दीपमाल दुह ओर;
यह संपति अरु यह अनचाह, कहां सर्वज्ञानी शिवनाह,
तातैं प्रभुता है जगमांहिं, सही असम है संशय नाहिं.
सुरपति आन अंखडित बहै, तृण ज्यों राज तज्यो तुम वहै;
जिन छिनमें जगमहिमा दली, जीत्यो मोहशत्रु महाबली;
लोकालोक अनंत अशेख, कीनो अंत ज्ञानसों देख,
प्रभुप्रभाव यह अद्भुत सबै, अवर देवमें मूल न फबै.
पात्रदान तिन दिन दिन दियो, तिन चिरकाल महातप कियो,
बहुविधि पूजाकारक वही, सर्व शील पाले उन सही;
और अनेक अमलगुणरास, प्रापति आय भये सब तास,
जिन तुम सरधासों कर टेक, द्रगवल्लभ देखे छिन एक.
त्रिजग तिलक तुम गुणगण जेह, भवभुजंगविषहरमणि तेह,
जो उरकाननमाहिं सदीव, भूषण कर पहरै भवि जीव;
सोई महागति संसार, सो श्रुतसागर पहुंचे पार,
सकल लोकमें शोभा लहै, महिमा जाग जगतमें वहै.
(दोहा)
सुरसमूह ढोल चमर, चंदकिरणद्युति जेम,
नवतनवधूकटाक्षतैं चपल चलैं अति एम;
छिन छिन ढलकैं स्वामि पर, सोहक ऐसो भाव,
किधौं कहत सिधि लच्छिसों, जिनपतिके ढिग आव.