Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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७८ ][ श्री जिनेन्द्र
सुशंकर तुम्हीं हौ तुम्ही सुखकारी,
सुजन्मादि त्रयपुर तुम्ही हौ विदारी;
धरै ध्यान जो जीव जगके मझारी,
करै नास विधिकौ लहै ज्ञान भारी.
स्वयंभू तुम्ही हौ महादेव नामी,
महेश्वर तुम्ही हौ तुम्ही लोकस्वामी;
तुम्हें ध्यानमें जो लखे पुन्यवंता,
वही मुक्ति को राज विलसै अनंता.
तुम्हीं हो विधाता तुम्ही नंददाता,
नमै जो तुम्हैं सो सदानंद पाता;
हरौ कर्मके फंद दुःखकंद मेरे,
निजानंद दीजे नमों चर्ण तेरे.
महा मोहको मारि निज राज लीनौ,
महाज्ञानको धारि शिव वास कीनौ;
सुनों अर्ज मेरी रिषभदेव स्वामी,
मुझे वास निजपास दीजे सुधामी.
श्री चंद्रप्रभजिनस्तवन
(चाल ‘अहो जगतगुरु’ की)
अहो चंद्र जिनदेव तुम जगनायक स्वामी,
अष्टम तीरथराज, हो तुम अंतरयामी.
लोकालोक मझार, जड चेतन गुणधारी,
द्रव्य छहूं अनिवार पर्यय शक्ति अपारी.