Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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८० ][ श्री जिनेन्द्र
जेठ असित चउदस विषे, जन्म कल्याणक इन्द;
मेरु कर्यो अभिषेककैं, पूजि नाच सुरवृन्द. शांति०
हेमवरन तन सोहनो तुंग धनुष चालीस;
आयु बरस लख नरपती, सेवत सहस बतीस. शांति०
षटखंड नवनिधि तिय सवै चउदह रतन भंडार;
कछु कारण लखिकें तजे षणचव असिय अगार. शांति०
देव रिषी सब आयकैं, पूजि चले जिन बोधि;
लेय सुरा सिविका धरी, बिरछ नंदीश्वर सोधि. शांति०
कृष्ण चतुरदसी जेठकी, मनपरजै लहि ज्ञान;
इन्द्र कल्याणक तप कर्यो, ध्यान धर्यो भगवान. शांति०
षष्टम करि हित असनकै पुर सो मनस मझार;
गये दयो पय मित्तजी, वरसे रतन अपार. शांति०
मोनसहित वसु दुगुणही, बरस करे तप ध्यान;
पौष सुकल दसमी हने, घाति लह्यो प्रभु ज्ञान. शांति० १०
समवसरण धनपति रच्यौ, कमलासन पर देव;
इन्द्र नरा षटद्रव्यकी, सुनि थिति थुति करी एव. शांति० ११
धन्य जुगलपद मो तनौ आयो तुम दरबार;
धन्य उभै चखि ये भये, वदन जीनन्द निहारि. शांति० १२
आज सफल कर ये भये पूजत श्रीजिन पाय;
शीश सफल अब ही भयो, धोक्यो तुम प्रभु आय. शांति० १३
आज सफल रचना भई, तुम गुणगान करंत;
धन्य भयौ हिय मो तनौ, प्रभुपद ध्यान धरंत. शांति० १४