Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्तवनमाळा ][ ८१
आज सफल जुग मो तनौ, श्रवण सुनत तुम बेंन,
धन्य भये बसु अंग छे, नमत लयो अति चेन. शांति० १५
‘राम’ कहै तुम गुणतणा, इन्द्र लहै नहीं पार.
मैं मति अलप अजान हूं, होय नहीं विस्तार. शांति० १६
बरस सहस पच्चीसही, षोडस कम उपदेश;
देय समेद पधारीये, मास रहे इक शेष. शांति० १७
जेठ असित चउदसि गये; हनि अघाति शिवथानि,
सुरपति उत्सव अति करे, मंगल मोक्ष कल्यान. शांति० १८
सेवक अरज करे सुनो, हो करुणानिधि देव;
दुःखमय भवदधि तें मुझे, तारि करूं तुम सेव. शांति० १९
श्री स्तवन
‘‘तन मन धनथी भक्ति करूं.’’
ठेर ठेर ठेर आनंद मंगळ घेर घेर,
आज कहान गुरुजी जनम्या छे; (२)
थया लीला ल्हेर ल्हेर.
ज्ञानगंगा वहेवडावनारा,
तारण तरण बिरुद धराव्या,
जिनवरना छे भक्त प्यारा;
हुं तनथी, हुं मनथी, तनमनधनथी भक्ति करूं,
करो प्रभु म्हेर थया लीला ल्हेर ल्हेर.