Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्तवनमाळा ][ ८३
उष्ण तापे टोपे परे, शीतळ समीरे वृक्ष नीचे,
मेघराज आगमन काळे विशाळ वृक्षनी बखोल मांहे,
उपसर्गो पडता छतां ए ज्ञानमां केवळ ज्ञेय जो,
वंदन जेने लाखो क्रोडो.
कोई क्षणे शास्त्र लखे, कोई क्षणे भवी शुद्ध स्वरूपे ठरे,
कोई क्षणे अभिग्रह धरे, कोई क्षणे भवी जीव संबोधे,
अहो! पुराण पुरुष हृदये बिराजजो,
वंदन जेने लाखो क्रोडो.
आ विश्व विषे कमलवत् भासे मुनीश्वर पदवी धारी,
अहोहो! मुनिवरा तारी वात सहुथी न्यारी,
धन्य धन्य तारा मात ने तात जो,
वंदन जेने लाखो क्रोडो.
श्रीस्तवन
जैन डंका वाग्या ने भव्यो जाग्या शासनमां;
रणकार ए सूण्या ने मनने गम्या आनंदमां.
वगाडनार कोण छे शूरो ने गुणमां पूरो शासनमां;
जोयुं जगतमां फरीने नक्की शोधी शासनमां.
दिव्य पुरुष ए दीठा ने कहान नामे ओळख्या शासनमां;
चित्तमां चमत्कार चीतर्या ने वाणी अमृत पीरस्यां
शासनमां.
वीतरागी अरिहंतने ओळखाव्या ने जयकार फेलाव्या
शासनमां.