Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्तवनमाळा ][ ८५
अचिंत्य न्यायोनी ए वर्षा वरसावता,
भव्य हृदयो ए नीरथी भींजाय,
निरपेक्ष तत्त्व केरुं स्वरूप समजावता;
वाणी सुणी चरणे नमी जाय....
वाणी सुणी शिर झूकी जाय....
कहान संत लागे मीठा रे.
वीर शासन शोभे कहान गुरुदेवथी,
सुरेन्द्रो जन्मगीत गाय,
सुरेन्द्रो मंगळगीत गाय,
वर्ते अखंड आण कुंद-कहान देवनी,
जयकार जन्मना गवाय....
जय जय हो गुरु कहान....
कहान गुरु लागे मीठा रे.
शासन संत लागे मीठा रे.
श्री जिनस्तवन
विदेही जिणंदजी सोहामणा रे लाल,
भक्ति करुं हुं तारी भावथी रे लाल,
धन्य अवतार जिनराजनो रे लाल.
समोसरणमांही बिराजता रे लाल,
ज्ञान समुद्र ऊछाळता रे लाल, धन्य अवतार०
दिव्यध्वनिना नाद गाजता रे लाल,
अनंत रहस्य आवे सामटा रे लाल, धन्य अवतार०