Shri Jinendra Stavan Mala-Gujarati (Devanagari transliteration).

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८६ ][ श्री जिनेन्द्र
धन्य विदेही जीव सांभळे रे लाल,
नित्ये झूले ज्ञानकुंजमां रे लाल, धन्य अवतार०
निरावरण सर्वज्ञ छो रे लाल,
जगनामी वसो मुज मंदिरे रे लाल, धन्य अवतार०
सुरनरपति सेवा करे रे लाल,
तुज चरणांबुज ध्यावता रे लाल, धन्य अवतार०
मैं तुम शरण ग्रह्युं भावथी रे लाल,
सेवकने शरणे राखजो रे लाल, धन्य अवतार
जिनराजनो रे लाल.
गुरुराज प्रतापे प्रभु भेटशुं रे लाल,
अवश्य वांछित फळ पामशुं रे लाल, धन्य अवतार
जिनराजनो रे लाल.
श्री कुंदकुंदाचार्यस्तवन
जुग जुग चमके सत् धर्मका तारा,
सत् धर्म प्रसरो जगत दुलारा,
सत् धर्म प्रसरो जगहितकारा,
कुंदकुंद प्रभु आनंदकारा, मुमुक्षुओंको पावनकारा,
पद्मनंदी प्रभु विदेह जाकर,
दिव्यध्वनिका नाद सुनकर,
स्वानुभवामृत पान करनारा,
आचार्यपददिन आज मनोहारा.
आचार्यपददिन आज मंगळकारा.