चंद्रानन चन्द्रबाहु श्री भुजंगम ईश्वर,
नेमिप्रभु वीरसेन विद्यमान पाईये;
महाभद्र देवजस अजितवीरज ‘भैया’,
वर्तमान – वीसको त्रिकाल सीस नाईये. २२
❀
श्री तीर्थंकर – स्तुति
(दोहा)
श्री जिनदेव प्रणाम कर, परम पुरुष आराध;
कहों सुगुण जयमालिका, पंच करणरिपु साध. १
(पद्धरि छंद)
जय जय सु अनंत चतुष्टनाथ,
जय जय प्रभु मोक्ष प्रसिद्ध साथ;
जय जय तुम केवलज्ञान-भास,
जय जय केवलदर्शन-प्रकाश. २
जय जय तुम बल जु अनंत जोर,
जय जय सुख जास न पार ओर,
जय जय त्रिभुवन-पति तुम जिनंद,
जय जय भवि-कुमदनि पूर्ण चंद. ३
जय जय तम नाशन प्रगट भान,
जय जय जित इद्रिन तूं प्रधान;
जय जय चारित्र सु यथाख्यात,
जय जय अघनिशि नाशन प्रभात. ४
९४ ][ श्री जिनेन्द्र