Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 95 of 438
PDF/HTML Page 113 of 456

 

background image
जय जय तुम मोह निवार वीर,
जय जय अरिजीतन परम धीर;
जय जय मनमथमर्दन मृगेश,
जय जय जम जीतनको रसेश.
जय जय चतुरानन हो प्रतक्ष,
जय जय जग-जीवन सकल रक्ष;
जय जय तुम क्रोध कषाय जीत,
जय जय तुम मान हर्यो अजीत.
जय जय तुम मायाहरन सूर,
जय जय तुम लोभनिवार मूर;
जय जय शत इंद्रन बंदनीक,
जय जय अरि सकल निकंदनीक.
जय जय जिनवर देवाधिदेव,
जय जय तिहुंयन भवि करत सेव;
जय जय तुम ध्यावहिं भविक जीव,
जय जय सुख पावहिं ते सदीव.
श्री जिनेन्द्रस्तवन
(रागमेरी भावना)
भविक तुम वंदहु मनधर भाव,
जिन-प्रतिमा जिनवरसी कहिये. भविक०
स्तवन मंजरी ][ ९५