Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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जिनप्रतिमा जिनवरणे कही, जिन साद्रशमें अंतर नहीं;
सब सुरवृंद नंदीश्वर जाय, पूजहि तहां विविध धर भाय. १४
‘भैया’ नितप्रति शीश नवाय, वंदन करहि परम गुण गाय;
इह ध्यावत निज पावत सही, तौ जयमाल नंदीश्वर कही. १५
श्री पार्श्वनाथकी स्तुति
(कवित्त)
आनंदको कंद किधों पूनमको चंद किधों,
देखिये दिनंद एसो नंद अश्वसेनको;
करमको हरै फंद भ्रमको करै निकंद,
चूरै दुख द्वंद सुख पूरै महा चैनको;
सेवत सुरिंद गुन गावत नरिंद ‘भैया’
ध्यावत मुनिंद तेहू पावैं सुख ऐनको;
ऐसो जिन चंद करै छिनमें सुछंद सुतौ,
ऐक्षितको इंद पार्श्व पूजों प्रभु जैनको.
कोऊ कहै सूरसोम देव है प्रत्यक्ष दोऊ,
कोऊ कहै रामचंद्र राखै आवागौनसों;
कोऊ कहै ब्रह्मा बडो सृष्टिको करैया यहै,
कोऊ कहै महादेव उपज्यो न जोनसों;
कोऊ कहै कृष्ण सब जीव प्रतिपाल करै,
कोऊ लागि रहे है भवानीजीके भौनसों;
१०४ ][ श्री जिनेन्द्र