Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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श्री चतुर्विंशतितीर्थंकरस्तुति
(दोहा)
वीस चार जगदीशको, बंदों शीस नवाय,
कहुं तास जयमालिका, नामकथन गुण गाय.
(पद्धरि छन्द १६ मात्रा)
जय जय प्रभु ॠषभ जिनेन्द्रदेव,
जय जय त्रिभुवनपति करहिं सेव;
जय जय श्री अजित अनंत जोर,
जय जय जिहं कर्म हरे कठोर.
जय जय प्रभु संभव शिवसरूप,
जय जय शिवनायक गुण अनूप;
जय जय अभिनंदन निर्विकार,
जय जय जिहिं कर्म किये निवार.
जय जय श्री सुमति सुमति प्रकाश,
जय जय सब कर्म निकर्म नाश;
जय जय पदमप्रभ पद्म जेम,
जय जय रागादि अलिप्त नेम.
जय जय जिनदेव सुपार्श्व पास,
जय जय गुणपुंज कहै निवास;
११२ ][ श्री जिनेन्द्र