जय जय चन्द्रप्रभ चन्द्रकांति,
जय जय तिहुं पुरजन हरन भ्रांति. ५
जय जय पुष्पदंत महंत देव,
जय जय षट द्रव्यनि कहन भेव;
जय जय जिन शीतल शीलमूल,
जय जय जिन मनमथ-मृग-शारदूल. ६
जय जय श्रेयांस अनंत बच्छ,
जय जय परमेश्वर हो प्रतच्छ;
जय जय श्री जिनवर वासुपूज,
जय जय पूज्यनके पूज्य तूज. ७
जय जय प्रभु विमल विमल महंत,
जय जय सुख दायक हो अनंत;
जय जय जिनवर श्री अनंतनाथ,
जय जय शिवरमणी ग्रहण हाथ. ८
जय जय श्री धर्मजिनेन्द्र धन्न;
जय जय जिन निश्चल करन मनन;
जय जय श्री जिनवर शांतिदेव,
जय जय चक्री तीर्थंकरदेव. ९
जय जय श्रीकुंथु कृपानिधान,
जय जय मिथ्यातमहरन भान;
स्तवन मंजरी ][ ११३
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