Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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जय जय जिनप्रतिमा जिनस्वरूप,
जय जयसु अनंत चतुष्ट भूप;
जय जय मन वच निज सीसनाय,
जय जय जय ‘भैया’ नमैं सुभाय. १५
(धत्ता)
जिनरूप निहारे आप विचारे, फेर न रंचक भेद कहै,
‘भैया’ इम वंदे ते चिरनंदै, सुख अनंत निजमाहिं लहै. १६
कविवर पं० बनारसीदासजीकृत
श्री जिनसहस्रनामस्तोत्र
(दोहा)
परमदेव परनामकर, गुरुको करहुं प्रणाम,
बुधिबल वरणों ब्रह्मके, सहस्रअठोत्तर नाम.
केवल पदमहिमा कहों, कहों सिद्ध गुनगान;
भाषा प्राकृत संस्कृत, त्रिविधि शब्द परमान.
एकारथवाची शबद, अरु द्विरुक्ति जो होय;
नाम कथनके कवितमें, दोष न लागे कोय.
(चौपाई १५ मात्रा)
प्रथम ॐकाररूप इशान, करुणासागर कृपानिधान;
त्रिभुवननाथ इश गुणवृन्द, गिरातीत गुणमूल अनिन्द.
स्तवन मंजरी ][ ११५