कृपासिन्धु कूटस्थ अछाय, अनभव अनारूढ असहाय;
सुगम अनन्तराम गुणग्राम, करुणापालक करुणाधाम. १४
लोकविकाशी लक्षणवन्त, परमदेव परब्रह्म अनन्त;
दुराराध्य दुर्गस्थ दयाल, दुरारोह दुर्गम द्रिगपाल. १५
सत्यारथ सुखदायक सूर, शीलशिरोमणि करुणापूर;
ज्ञानगर्भ चिद्रूप निधान, नित्यानन्द निगम निरजान. १६
अकथ अकरता अजर अजीत; अवपु अनाकुल १विषयातीत;
मंगलकारी मंगलमूल, विद्यासागर विगतदुकूल.२ १७
नित्यानन्द विमल निरुजान, धर्मधुरंधर धर्मविधान;
ध्यानी धामवान धनवान, शीलनिकेतन बोधनिधान. १८
लोकनाथ लीलाधर सिद्ध, कृती कृतारथ महासमृद्ध;
तपसागर तपपुंज अछेद, भवभयभंजन अमृत अभेद. १९
गुणावास गुणमय गुणदाम, स्वपरप्रकाशक रमताराम;
नवल पुरातन अजित विशाल, गुणनिवास गुणग्रह गुणपाल. २०
(दोहा)
लघुरूपी लालचहरन, लोभविदारन वीर,
धारावाही धौतमल, धेय धराधर धीर. २१
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(पद्धरि छंद)
चिन्तामणि चिन्मय परम नेम, परिणामी चेतन परम छेम;
चिन्मूरति चेता चिद्विलास, चूडामणि चिन्मय चन्द्रभास. २२
१ ‘विपति अतीत’ ऐसा भी पाठ है. २ वस्त्र.
स्तवन मंजरी ][ ११७