Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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क्रीडा करते भी जिन विजय पूर्ण पाई,
अजित नाम रक्खा जो प्रगट अर्थदाई.
अब भी जग लेते नाम भगवत् अजितका,
सत् शिवमगदाता वर अजित तीर्थंकरका.
मंगल कर्ता है परमशुचि नाम जिनका,
निज कारजका भी लेत नित वाम उनका.
जिम सूर्य प्रकाशे, मेघदलको हटाकर,
कमल वन प्रफुल्लैं, सब उदासी घटाकर;
तिम मुनिवर प्रगटे, दिव्य वाणी छटाकर,
भविगण आशय गत, मल कलंक मिटाकर.
जिसने प्रगटाया, धर्म भव पार कर्ता,
उत्तम अति ऊंची, जान जनदुःख हरता;
चंदन सम शीतल, गंग हृदयमें नहाते,
बहुधाम सताए, हस्तिवर शांति पाते.
निज ब्रह्म रमानी, मित्र शत्रु समानी,
ले ज्ञान कृपानी, रोषादि दोष हानी;
लहि आतम लक्ष्मी, निजवशी जीतकर्मा,
भगवन् अजितेश, दीजिए श्री स्वशर्मा. १०
(३) श्री संभवजिनस्तुति
(भुजंगप्रयात छंद)
तुंही सौख्यकारी जगमें नरोंको,
कुतृष्णा महाव्याधि पीडित जनोंको;
३२ ][ श्री जिनेन्द्र