Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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है तथा शम न चन्दन, किरण चन्द्रमा,
नाहिं गंगा जलं, हार मोती शमा. ४६
अक्षसुख चाहकी आगसे तृप्त मन,
ज्ञान-अमृत-सुजल सींच कीना शमन;
वैद्य जिम मंत्र गुणसे करे शांत तन,
सर्व विषकी जलनसे हुआ बेयतन. ४७
भोगकी चाह अर चाह जीवन करे,
लोक दिन श्रम करे रात्रिको सो रहे;
हे प्रभु आप तो रात्रि दिन जागिया,
मोक्षके मार्गको हर्षयुत साधिया. ४८
पुत्र धन और परलोककी चाह कर,
मूढजन तप करें आपको दाह कर;
आपने तो जरा जन्मके नाश हित,
सर्व किरिया तजी शांतिमय भावहित. ४९
आप ही श्रेष्ठ ज्ञानी महा हो सुखी,
आपसे जो परे बुद्धि लव मद दुःखी;
याहिते मोक्षकी भावना जे करें,
संतजन नाथ शीतल तुम्हें उर धरे. ५०
(११) श्री श्रेयांस जिनस्तुति
(छन्द मालिनी)
जिनवर हितकारी वाक्य निर्बाधधारी,
जगत जिन सुहितकर मोक्षमारग प्रचारी;
४० ][ श्री जिनेन्द्र