जगहितकारी अरिहाजीनी, ना’वे बीजी जोड......
हांहारे प्रभु ना’वे बीजी जोड; दरिसण० (टेक)
जिनवर एक अनेकी जगमां, तुज भक्ति छे मुज रगरगमां;
अनुपम शांतिधारी अमोने, धर्मना पंथे जोड......
हांहांरे विभु धर्मना पंथे जोड; द० – सीमं० १
आननज्योति प्रभुनी शोभे, मोहराय बहु देखी क्षोभे;
अनुपम ज्ञानना धारी अमोने, धर्मना पंथे जोड......
हांहांरे विभु धर्मना पंथे जोड; द० – सीमं० २
पुण्यतरु प्रभुकृपाए फळियो, मुज देवाधिदेव तुं मळियो;
अनुपम दर्शनधारी अमोने, धर्मना पंथे जोड....
हांहांरे विभु धर्मना पंथे जोड; द० – सीमं० ३
जेम महीधर मेरु संगतथी, थाय कंचनता तृणमांहेथी;
अनुपम चारित्रधारी अमोने, धर्मना पंथे जोड.....
हांहांरे विभु धर्मना पंथे जोड; द० – सीमं० ४
प्रभुनी संगे तेम संसारी, कर्मकलंकने दूर निवारी;
आतमनी ज्योत वरे शिवनारी, सेवकने कर्मथी छोड....
हांहांरे विभु सेवक नमे करजोड; द० – सीमं० ५
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श्री सीमंधर जिन – स्तवन
(उत्सव रंग वधामणा – ए देशी)
सीमंधरनाथजीने विनवुं, प्रभु अम घेर आवो,
प्रभु अम घेर आवो, हां हारे प्रभु अम घेर आवो.
६० ][ श्री जिनेन्द्र