Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

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भवजलतारण दुःखनिवारण,
सुर नर जिनगुण गाया, हो देव त्रिभुवनराया. सी० २
अज्ञान पडलने दूर करनारा,
दर्शन अमृत पाया, हो देव त्रिभुवनराया सी० ३
जन्म-मरणना फेरा निवारी,
अजरामरपद पाया, हो देव त्रिभुवनराया. सी० ४
करुणासागर जिन! वंदन करुं छुं,
तुज सेवक गुण गाया, हो देव त्रिभुवनराया. सी० ५
श्री विदेही जिनस्तवन
(रखिया बंधाओ भैयाए देशी)
मूरति विदेहीजन प्यारी, मोहन गा......री......रे;
मोहन गा.......री.......रे, मूरति विदेही० मोहन० (टेक)
चार करमने वामी, केवळज्ञानना स्वामी;
वंदुं हुं अंतरजामी, मोहन गा.....री.......रे. मूरति०
कषायभाव मारी, चिद्रूपे लीनता जामी;
आतमतत्त्व विचारी, मोहन गा.......री.......रे. मूरति०
भवमां भमतो आयो, नाथ! में दर्शन पायो;
मूरति जोई लोभायो, मोहन गा.....री......रे. मूरति०
६२ ][ श्री जिनेन्द्र