Shri Jinendra Stavan Manjari-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 64 of 438
PDF/HTML Page 82 of 456

 

background image
श्री पार्श्वनाथ जिनस्तवन
(वीर कुंवरनी वातडी केने कहीएए देशी)
पार्श्वजिणंदने प्रीतथी नित्य वंदुं,
हांरे नित्य वंदुं रे नित्य वंदुं,
हांरे कीधां पाप ते सर्व निकंदुं,
हांरे करी दरिसण आज.....पा०
बनारसी नगरी अति मनोहारी,
हांरे सहु जनने अति सुखकारी;
हांरे अश्वसेनराय घर नारी,
हांरे वामादेवीना नंद....पा०
तस कुंखे प्रभु पार्श्वजी अवतरिया,
हांरे त्रण ज्ञाने करीने भरिया;
हांरे पूर्ण गुण तणा छे दरिया,
हांरे जन्म्या शुभ दिन. पा०
जन्म-ओछव हरि मेरुए जई करता,
हांरे इंद्र सहस्र नेत्रने धरता;
हांरे नीरे निरमळ कळशा भरता,
हांरे करता अभिषेक. पा०
संयम वेळा लोकांतिक देवा आवे,
हांरे प्रभु वैराग्य भावना भावे;
हांरे इंद्र दीक्षा-ओछव मलावे,
हांरे करे सहु गुणग्राम. पा०
६४ ][ श्री जिनेन्द्र