शासननायक! शिवसुखदायक! तुं प्रभु अंतरजामी;
वीरजिणंदना चरणकमळमां, दास नमे शिरनामी. आज० ५
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श्री सीमंधर जिन – स्तवन
(राग – सारंग, देशी – माता मरुदेवीना नंद.......)
तमे तो भले बिराजोजी,
सुवर्णपुरमां सीमंधर, जिनजी भले बिराजोजी,
तमे तो भले बिराजोजी, तमे तो भले बिराजोजी,
सुवर्णपुरमां सीमंधर, जिनजी भले बिराजोजी. (टेक)
मंगलआगर करुणासागर, सागर जेम गंभीर;
जगतना आधार दीनदयाळु, उतारो भवजल – तीर....तमे० १
नाथ निरंजन भवभयभंजन, शरणागत-आधार;
तरण-तारण बिरुद धरावो, वंदुं हुं वारंवार...तमे० २
निरविकारी शांतमनोहर मुद्रा निरखी आज;
एहवी अन्य देवनी जगमां, दीठी नहि जिनराज!.....तमे० ३
पुष्कलावती विजय वसिया, पिताश्री श्रेयांसपूज्य;
आनंददायक सत्य माताना, समरूं अहोनिश तुज. तमे० ४
पूरण शशीसम मुखमनोहर, निरखी हर्ष अपार;
केवलज्ञान अनंत गुणाकर, प्रगट्या पूर्णानंद....तमे० ५
६६ ][ श्री जिनेन्द्र