जीवन छे अद्भुत तमारुं (२)
भाव अमर करनार; भावथी हुं वंदन० ४
नायक शासन तीरथ-स्थापक (२)
थया भवि तारणहार; भावथी हुं वंदन० ५
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श्री शांतिनाथ – स्तवन
(एक सुख पाया मैंने, अंमाके राजमें – ए देशी)
शांति प्रभुजीरे, विनति मोरी मानना; (टेक)
आज मंगल पाया मैंने, प्रभुके दरबारमें (२);
शांतिनाथ सुखदायीरे, मंगल मेरा करना; शांति प्रभु० १
आज सरन पाया मैंने, प्रभुके दरबारमें (२)
तरन-तारन बिरुदधारीरे, कल्याण मेरा करना; शांति० २
आज सुख पाया मैंने, प्रभुके दरबारमें (२)
जगतारक प्रभु वडोरे, सेवक सुखी करना; शांति० ३
आज शांति पाई मैंने, प्रभुके दरबारमें (२);
जिनराज निजानंदीरे, अनाथ मुझे तारना; शांति० ४
आज भक्ति पाई मैंने, प्रभुके दरबारमें (२);
अरिहंत देवाधिदेवरे, दुःखोंको मेरे काटना; शांति० ५
आज सेवा पाई मैंने, प्रभुके दरबारमें (२);
वीतराग लोकनाथरे, भवोंका फेरा टालना; शांति० ६
८० ][ श्री जिनेन्द्र