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अर्थः — पृथ्वीकायिक जीवोनुं उत्कृष्ट आयु बावीस हजार वर्षनुं छे, अप्कायिक जीवोनुं उत्कृष्ट आयु सात हजार वर्षनुं छे, अग्निकायिक जीवोनुं उत्कृष्ट आयु त्रण दिवसनुं छे तथा वायुकायिक जीवोनुं उत्कृष्ट आयु त्रण हजार वर्षनुं छे.
हवे बे इन्द्रिय आदिनुं उत्कृष्ट आयु कहे छेः —
अर्थः — बे इन्द्रिय जीवोनुं उत्कृष्ट आयु बार वर्षनुं छे, त्रण इन्द्रिय जीवोनुं उत्कृष्ट आयु ओगणपचास (४९) दिवसनुं छे, चार इन्द्रिय जीवोनुं उत्कृष्ट आयु छ महिनानुं छे तथा पंचेन्द्रिय जीवोनुं उत्कृष्ट आयु भोगभूमिनी अपेक्षाए त्रण पल्यनुं छे.
हवे बधांय तिर्यंच अने मनुष्योनुं जघन्य आयु कहे छेः —
अर्थः — लब्ध्यपर्याप्तक सर्व जीवोनुं जघन्य आयु मध्यम हीनमुहूर्त छे अने ते क्षुद्रभवमात्र जाणवुं अर्थात् एक उच्छ्वासना अढारमां भागमात्र छे वळी एकेन्द्रियादिथी मांडीने कर्मभूमिनां तिर्यंच- मनुष्य ए बधाय पर्याप्त जीवोनुं जघन्य आयु पण मध्यम हीनमुहूर्त छे अने ते पहेलानाथी मोटुं मध्यम अंतर्मुहूर्त छे.