९६ ]
अर्थः — बे इन्द्रियमां शंख मोटो छे, तेनी उत्कृष्ट अवगाहना बार योजन लांबी छे; त्रण इन्द्रियमां गोभिका अथात् कानखजूरो मोटो छे, तेनी उत्कृष्ट अवगाहना त्रण कोश लांबी छे; चार इन्द्रियमां भ्रमर मोटो छे. तेनी उत्कृष्ट अवगाहना एक योजन लांबी छे; तथा पंचेन्द्रियमां संमूर्च्छन मच्छ मोटो छे, तेनी उत्कृष्ट अवगाहना हजार योजन लांबी छे. आ जीवो छेल्ला स्वयंभूरमण द्वीप तथा समुद्रमां जाणवा.
हवे नारकीना उत्कृष्ट अवगाहना कहे छेः —
अर्थः — सातमा नरकमां नारकीजीवनो देह पांचसो धनुष ऊंचो छे; तेना उपर देहनी ऊंचाई अडधी अडधी छे अर्थात् छठ्ठामां बसो पचास धनुष, पांचमामां एकसो पच्चीस धनुष, चोथामां साडाबासठ धनुष, त्रीजामां सवाएकत्रीस धनुष, बीजामां पंदर धनुष दशा आनी, अने पहेलामां सात धनुष तेर आनी — ए प्रमाणे जाणवुं. तेमां ओगणपचास पटल छे अने ते बधांमां जुदी जुदी विशेष अवगाहना श्री त्रिलोकसारमांथी जाणवी.
हवे देवोनी अवगाहना कहे छेः —