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अर्थः — अवसर्पिणीना पहेला काळमां मनुष्योनो देह त्रण कोश ऊंचो छे तथा छठ्ठा काळना अंतमां मनुष्योनो देह एक हाथ ऊंचो छे. वळी छठ्ठा काळना मनुष्यो वस्त्रादिथी रहित होय छे.
हवे एकेन्द्रिय जीवोनो जघन्य देह कहे छेः —
अर्थः — लब्ध्यपर्याप्तक सर्व जीवोनो देह घनअंगुलना असंख्यातमा भाग छे अने ते सर्व जघन्य छे तथा तेमां पण अनेक भेद छे.
भावार्थः — एकेन्द्रिय जीवोनो जघन्य देह पण नानो – मोटो होय छे अने ते घनांगुलना असंख्यातमा भागमां पण अनेक भेद छे. गोम्मटसारमां अवगाहनाना चोसठ भेदोनुं वर्णन छे, त्यांथी ते जाणवुं.
हवे बे इन्द्रिय आदिनी जघन्य अवगाहना कहे छेः —
अर्थः — बे इन्द्रिय, त्रण इन्द्रिय, चार इन्द्रिय अने पंचेन्द्रिय पर्याप्त जीवोनो जघन्यदेह घनांगुलना असंख्यातमा भागे छे अने ते पण उपर उपर संख्यात गणो छे.