
वर्तमान छे; ए प्रमाणे व्यवहारकाळ होय छे.
अनागत नामथी कह्या तथा जे वर्ते छे तेमने वर्तमान नामथी कह्या.
तेमने जेटली वार लागे छे तेने ज व्यवहारकाळ नामथी कहीए छीए.
हवे जघन्यपणे तो पर्यायनी स्थिति एक समय मात्र छे अने मध्यम
-उत्कृष्टना अनेक प्रकार छे. त्यां आकाशना एक प्रदेशथी बीजा प्रदेश
सुधी पुद्गलनो परमाणु मंद गतिए जाय तेटला काळने एक समय
कहे छे. ए प्रमाणे जघन्ययुक्ता संख्यातसमयने एक आवली कहे छे,
संख्यात आवलीना समूहने एक उश्वास कहे छे, सात उश्वासनो एक
स्तोक कहे छे, सात स्तोकनो एक लव कहे छे, साडा आडत्रीस लवनी
एक घडी कहे छे, बे घडीनुं एक मुहूर्त कहे छे, त्रीस मुहूर्तनो एक
रात्रि-दिवस कहे छे, पंदर रात्रि-दिवसनो एक पक्ष कहे छे, बे पक्षनो
एक मास कहे छे, बे मासनी एक ॠतु कहे छे, त्रण ॠतुनुं एक
अयन कहे छे अने बे अयननुं एक वर्ष कहे छे, इत्यादि पल्य-सागर
-कल्प आदि व्यवहारकाळना अनेक प्रकार छे.