Swami Kartikeyanupreksha-Gujarati (Devanagari transliteration). Gatha: 346-347.

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पापोपदेश नामनो अनर्थदंड छे. बीजाने पापनो उपदेश करवामां पोताने
केवळ पापबंध ज थाय छे अने तेथी व्रतभंग थाय छे, एने छोडतां
व्रतनी रक्षा थाय छे. व्रत उपर गुण करे छे
उपकार करे छे, तेथी तेनुं
नाम गुणव्रत छे.
हवे त्रीजो प्रमादचर्या नामनो अनर्थदंड कहे छेः
विहलो जो वावारो पुढवीतोयाण अग्गिपवणाण
तह वि वणप्फ दिछेदो अणत्थदंडो हवे तिदिओ ।।३४६।।
विफलः यः व्यापारः पृथ्वीतोयानां अग्निपवनानां
तथा अपि वनस्पतिच्छेदः अनर्थदण्डः भवेत् तृतीयः ।।३४६।।
अर्थःअफळनिष्प्रयोजन एवा पृथ्वी, जळ, अग्नि अने
पवनना व्यापारमां प्रवृत्ति करवी तथा निष्प्रयोजन हरित (लीलोतरी)
वनस्पतिकायनुं छेदन-भेदन करवुं ते त्रीजो प्रमादचर्या नामनो अनर्थदंड छे.
भावार्थःप्रमादवश बनी पृथ्वीजळअग्निवायु अने
हरितकायनी विना प्रयोजन विराधना करे त्यां त्रसस्थावरजीवोनो घात
तो थाय छे ज अने पोतानुं कार्य कांई पण सधातुं नथी, तेथी ए
करवामां व्रतभंग थाय छे; एने छोडतां ज व्रतनी रक्षा थाय छे.
हवे हिंसादान नामनो चोथो अनर्थदंड कहे छेः
मज्जारपहुदिधरणं आउहलोहादिविक्कणं जं च
लक्खाखलादिगहणं अणत्थदंडो हवे तुरिओ ।।३४७।।
मार्ज्जारप्रभृतिधरणं आयुधलोहादिविक्रयः यः च
लाक्षाखलादिग्रहणं अनर्थदण्डः भवेत् तुरीयः ।।३४७।।
अर्थःबिलाडां वगेरे हिंसक जीवोने पालन करवा, लोखंडनो
वा लोखंड आदिना आयुधोनो व्यापार करवोलेण देण करवी, लाख
खला आदि शब्दथी झेरी वस्तु आदिनी लेणदेण, वणजव्यापार
करवो, ए हिंसादान नामनो चोथो अनर्थदंड छे.
धर्मानुप्रेक्षा ]
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