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अर्थः — मरणने प्राप्त थता मनुष्यने जो कोई देव, मंत्र, तंत्र, क्षेत्रपाल अने उपलक्षणथी लोको जेमने रक्षक माने छे ते बधाय रक्षवावाळा होय तो मनुष्य अक्षय थई जाय अर्थात् कोई पण मरे ज नहि.
भावार्थः — लोको जीववाने माटे देवपूजा, मंत्र-तंत्र अने औषधी आदि अनेक उपाय करे छे. परंतु निश्चयथी विचारीए तो कोई जीवता (शाश्वत) देखाता नथी, छतां निरर्थक ज मोहथी विकल्प उपजावे छे.
हवे ए ज अर्थने फरीथी द्रढ करे छेः —
अर्थः — आ संसारमां अति बळवान, अति रौद्र – भयानक अने रक्षणना अनेक प्रकारोथी निरंतर रक्षण करवामां आवतो होवा छतां पण मरण रहित कोई पण देखातो नथी.
भावार्थः — गढ, कोट, सुभट अने शस्त्र आदि रक्षाना अनेक प्रकारोथी उपाय भले करो परंतु मरणथी कोई बचतुं नथी अने सर्व उपायो विफळ (निष्फळ) जाय छे.
हवे परमां शरण कल्पे तेना अज्ञानने दर्शावे छेः —