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दुःख पामे छे, ते आने खाय अने आ तेने खाय. ज्यां जेना गर्भमां उत्पन्न थयो छे एवी माता पण पुत्रने भक्षण करी जाय, तो पछी अन्य कोण रक्षण करे?
अर्थः — ए तिर्यंचगतिमां जीव तीव्र तरसथी तृषातुर तथा तीव्र भूखथी क्षुधातुर थयो थको तेम ज उदराग्निथी बळतो थको (घणां) तीव्र दुःख पामे छे.
हवे ए कथनने संकोचे छेः —
अर्थः — ए प्रमाणे पूर्वोक्त प्रकारथी तिर्यंचयोनिमां जीव अनेक प्रकारथी दुःख पामे छे अने तेने सहे छे. ए तिर्यंचगतिमांथी नीकळीने (कदाचित्) मनुष्य थाय तो केवो थाय? लब्धिअपर्याप्त के ज्यां पर्याप्ति ज पूरी न थाय.
हवे मनुष्यगतिनां जे दुःखो छे तेने बार गाथाओ द्वारा कहे छे. त्यां प्रथम ज गर्भमां ऊपजे ते अवस्था कहे छेः —