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अर्थः — कोई समजे के शरीरसंबंधी दुःख मोटुं छे अने मानसिक दुःख अल्प छे. तेने अहीं कहे छे के शारीरिक दुःखथी मानसिक दुःख घणुं तीव्र छे – मोटुं छे; जुओ, मानसिक दुःख सहित पुरुषने अन्य घणा विषयो होय तोपण तेओ दुःखदायक भासे छे.
भावार्थः — मनमां चिंता थाय त्यारे सर्व सामग्री दुःखरूप ज भासे छे.
अर्थः — देवोने मनोहर विषयोथी जो सुख छे एम विचारवामां आवे तो ते प्रगटपणे सुख नथी. जे विषयोने आधीन सुख छे ते दुःखनुं ज कारण छे (दुःख ज छे).
भावार्थः — अन्य निमित्तथी सुख मानवामां आवे ते भ्रम छे, कारण के जे वस्तु सुखना कारणरूप मानवामां आवे छे ते ज वस्तु काळान्तरमां दुःखना ज कारणरूप थाय छे.
ए प्रमाणे विचार करतां संसारमां कोई ठेकाणे पण सुख नथी एम कहे छेः —