लोकानुप्रेक्षा ]
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१०. लोकानुप्रेक्षा
हवे लोकानुप्रेक्षानुं वर्णन करीए छीए. त्यां प्रथम ज लोकनो
आकारादि कहीशुं. तेमां कंईक गणितने प्रयोजनरूप जाणीने तेनो संक्षेपमां
भावार्थ अन्य ग्रंथानुसार अहीं लखीए छीए. त्यां प्रथम तो परिकर्माष्टक
छे. तेमां, पहेलुं – संकलन एटले जोडी देवुं ते – सरवाळो करवो ते; जेम
के – आठ ने सातनो सरवाळो करतां पंदर थाय. बीजुं – व्यवकलन एटले
बादबाकी काढवी ते, जेम के आठमांथी त्रण घटाडतां पांच रहे. त्रीजुं
– गुणाकार; जेम के आठने सातथी गुणतां छप्पन थाय. चोथुं – भागाकार;
जेम के आठने बेनो भाग आपतां चार थाय. पांचमुं – वर्ग एटले
बराबरनी संख्यानी बे राशी गुणतां जेटला थाय तेटला तेना वर्ग
कहेवाय; जेम के आठनो वर्ग चोसठ. छठ्ठुं – वर्गमूळ एटले जेम चोसठनुं
वर्गमूळ आठ. सातमुं – घन एटले त्रण राशि बराबर गुणतां जे थाय
ते; जेम के आठनो घन पांचसो बार तथा आठमुं – घनमूल एटले पांचसो
बारनुं घनमूळ आठ. ए प्रमाणे परिकर्माष्टक जाणवुं.
वळी त्रैराशिक छे, जेमां एक प्रमाणराशि, एक फळराशि तथा
एक इच्छाराशि; जेम के कोई वस्तु बे रूपियानी सोळ शेर आवे तो
आठ रूपियानी केटली आवे? अहीं प्रमाणराशि बे छे, फळराशि सोळ
छे तथा इच्छाराशि आठ छे. त्यां फळराशिने इच्छाराशि साथे गुणतां
एक सो अठ्ठावीस थाय, तेने प्रमाणराशिनी बे संख्याथी भाग आपतां
चोसठ शेर आवे — एम जाणवुं.
वळी क्षेत्रफळ – एटले ज्यां समान खंड (भाग) करीए तेने
क्षेत्रफळ कहीए छीए; जेम के खेतरमां दोरी मापीए त्यारे कचवांसी,
विसवांसी, वीघा करीए छीए ते क्षेत्रफळ कहेवाय छे; जेम के – एंशी
हाथनी दोरी होय, तेना वीस गुंठा करतां चार हाथनो गूंठो थाय. ए