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हवे लोकनो आकार तो नित्य छे — एम धारीने तेना व्यासादि (माप) कहे छेः —
अर्थः — लोकनो नीचे मूळमां पूर्व-पश्चिम तो सात राजु विस्तार छे, मध्यमां एक राजु विस्तार छे. उपर ब्रह्मस्वर्गना अंतमां पांच राजु विस्तार छे तथा लोकना अंतमां एक राजुनो विस्तार छे.
भावार्थः — आ लोकना नीचला भागमां पूर्व-पश्चिमदिशामां सात राजु पहोळो छे, त्यांथी अनुक्रमे घटतो घटतो मध्यलोकमां एक राजु रहे छे, पछी उपर अनुक्रमे वधतो वधतो ब्रह्मस्वर्गना अंतमां पांच राजु पहोळो थाय छे, पछी घटतो घटतो अंतमां एक राजु रहे छे, ए प्रमाणे थतां दोढ मृदंग ऊभां मूकीए तेवा आकार थाय छे.
हवे दक्षिण-उत्तर विस्तार वा उंचाई कहे छेः —
अर्थः — दक्षिण-उत्तर दिशामां सर्वत्र आ लोकनो विस्तार सात राजु छे, उंचाई चौद राजु छे तथा सात राजुनुं घनप्रमाण छे.
भावार्थः — दक्षिण-उत्तर सर्वत्र सात राजु पहोळो अने चौद राजु ऊंचाईमां छे एवा लोकनुं घनफळ करवामां आवे त्यारे ते ३४३ घनराजु थाय छे. एक राजु पहोळाई, एक राजु लंबाई तथा एक राजुनी ऊंचाईवाळा समान क्षेत्रखंडने घनफळ कहेवामां आवे छे.