७४ ]
अर्थः — आ लोक पृथ्वी, अप, तेज, वायु अने वनस्पति — ए पांच प्रकारनी कायाना धारक एवा जे एकेन्द्रिय जीवो तेनाथी सर्वत्र भरेलो छे; वळी त्रस जीवो त्रसनाडीमां ज छे – बहार नथी.
भावार्थः — समान परिणामनी अपेक्षाए उपयोग लक्षणवान जीवद्रव्य सामान्यपणे एक छे तोपण वस्तु (जीवो) भिन्नप्रदेशपणाथी पोतपोताना स्वरूप सहित जुदी जुदी अनंत छे. तेमां जे एकेन्द्रिय छे ते तो सर्वलोकमां छे तथा बे इन्द्रिय, त्रण इन्द्रिय, चार इन्द्रिय अने पंचेन्द्रिय त्रस जीवो छे ते त्रसनाडीमां ज छे.
हवे बादर-सूक्ष्मादि भेद कहे छेः —
अर्थः — जे जीव आधार सहित छे ते तो स्थूळ एटले बादर छे, अने ते पर्याप्त छे तथा अपर्याप्त पण छे; तथा जे लोकाकाशमां सर्वत्र अन्य आधार रहित छे ते जीव सूक्ष्म छे. तेना छ प्रकार छे.
हवे बादर तथा सूक्ष्म कोण कोण छे ते कहे छेः —